Friday, April 4, 2008

कंप्यूटर का मैथिलीकरण

मैथिली उन 22 भाषाओं में से है जिसे संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल होने का सौभाग्य मिला हुआ है. लेकिन फिर सरकार की ओर से संविधान में शामिल सभी भाषाओं के लिए भाषा कंप्यूटर के प्रयासों को छोड़ दें तो ऐसा कोई प्रयास बड़ी कंपनियाँ करती नहीं दिखाई दे रहीं हैं जिससे ऐसी भाषाओं में भी कंप्यूटर जाए जिनकी संख्या कम है या जो इन कंपनियों के लिए बड़े बाज़ार का इंतजाम नहीं कर सकती हैं. लेकिन ओपन सोर्स की दुनिया इसके लिए खुली है और वहाँ काम चालू हो गया है और आशा है कि फेडोरा 10 के आते आते हम मैथिली में भरे पूरे ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जाएंगे जहां डीवीडी को इंस्टॉल करने के लिए ड्राइव डालने के बाद से सारे जरूरी अनुप्रयोगों तक आप सबकुछ मैथिली में पाएंगे.

मैथिली से जुड़े समुदाय मैथिली कंप्यूटिंग रिसर्च सेंटर ने फेडोरा ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए काम चालू कर दिया है और इसका इंस्टालर एनाकोंडा के साथ कई जरूरी फ़ाइलों को समुदाय ने अनुवाद भी कर लिया है. फेडोरा मैथिली का काम हालांकि एक बड़ा काम है और इसके लिए बड़े समुदाय की जरूरत भी है. यह जरूरत कई स्तरों पर रहती हैं अनुवाद से लेकर शब्दावली निर्माण व गुणवत्ता को बेहतर बनाने के कई कामों से जुड़ी. जाहिर है कि फेडोरा का तयशुदा डेस्कटॉप वातावरण चूँकि गनोम है इसलिए हमने गनोम को चुना है. इसमें कोई शक नहीं कि अगले चरण में हम केडीई के काम को भी हाथ में लेने की कोशिश करेंगे. मैथिली गनोम के काम से यही मुख्य समुदाय जुड़ी है और आशा रखती है कि गनोम 2.24 संस्करण के सभी जरूरी अनुप्रयोगों को लोकलाइज कर लिया जाए. इसके लिए शुरूआती स्तर के काम जैसे लोकेल निर्धारण और काम करने वाली टीम के पंजीयन का काम पूरा कर लिया है.

इसमें कोई शक नहीं कि मैथिली का एक भरा-पूरा विरासत रखती है. इसमें लिखित साहित्य भी बड़ी मात्रा में है. इस भाषा ने कई जाने माने लेखकों व कवियों को जन्म दिया है. साहित्य अकादमी ने इस भाषा को बहुत पहले से दर्जा दे रखा था लेकिन संविधान की 8 वीं अनुसूची में यह चार वर्ष पहले ही शामिल हुई है. फिर भी इस भाषा को चाहने वाले बहुत लोग हैं. इसलिए मुझे लगता है कि यह आशा करने में कोई गुनाह नहीं है कि हम जल्द ही अपनी इस समृद्ध भाषा में भी कंप्यूटर देख पाएंगे.

मुझे रविकांतजी की वो बात सराय वर्कशॉप के दौरान बहुत अच्छी लगी थी कि लिनक्स का भविष्य कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं के साथ ज्यादा है क्योंकि प्रोपराइटरी कंपनियां सिर्फ बाजार के इशारे पर काम करती हैं और वह इन भाषाओं को अपनाने के पहले अपने नफे-नुकसान के बारे में ज्यादा सोचेगी. हाल ही में मेरे मित्र जय पांड्या ने बताया है कि वे अपने साथियों के साथ मारवाड़ी में कंप्यूटर तैयार करने के लिए सोच रहे हैं और जल्द ही इसके लिए काम शुरू करेंगे. सचमुच, ओपन सोर्स की दुनिया में कंप्यूटर को अपनी भाषा में करने के लिए कुछ भाषा को चाहने वाले लोग चाहिए जो अपना कुछ समय दे सकें.

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