Wednesday, June 27, 2012

जून की मोज़िल्ला समर कोड पार्टी

बीते शनिवार 23 जून को सिंबायसिस जाना हुआ: मोज़िल्ला समर कोड पार्टी के सिलसिल में। अमन के साथ मोज़िल्ला लोकलाइजेशन को लेकर वहाँ बोलना था और अधिकतर लोग कंप्यूटर साइंस के छात्र थे - प्रथम वर्ष के। सायक, फैज़ल, अंकित, सौम्या, सौरभ आदि ने काफी मिहनत की और यह वाकई काफी सफल आयोजन रहा। करीब पचास से अधिक बच्चे थे - पूरे एक दिन के सत्र में। यह काफी व्यवस्थित, कसा हुआ आयोजन रहा। सभी को बहुत-बहुत बधाई। पूरे दिन के कार्यक्रम की योजना यहाँ देखिए।

सायक, अंकित, फैज़ल, सौम्या ने कार्यक्रम की कमान पूरे दिन संभाले रखी और वातावरण काफी उम्दा बनाए रखा। हालाँकि किंशुक ने इस कार्यक्रम में शामिल होने में आरंभ में असमर्थता जतायी थी लेकिन उन्होंने भी फ़ॉस के महत्व पर अपनी बात काफी शानदार तरीके से रखी। शुक्रिया किंशुक - इससे जुड़ने के लिए। सभी सहभागियों और उपस्थित छात्रों का शुक्रिया। सायक का विशेष धन्यवाद - उन्होंने काफी व्यवस्थित तरीके से इस कार्यक्रम के सूत्रधार की भूमिका निभायी। उम्मीद है हम और भी कार्यक्रम इस कड़ी में जोड़ पाएँगे।

Thursday, June 7, 2012

मरती भाषाओं का नक्शा बहुत डरावना लगता है

तो यूनेस्को के अनुसार 2473 भाषाएँ हैं दुनियाभर में - जो मरने के कगार पर हैं। भारत में यह संख्या 197 है। पिछले साल 196 थी। अमेरिका में 191 भाषाएँ अंतिम सांस गिन रही हैं। मेक्सिको में 143 है। इंडोनेशिया जैसे छोटे से देश में 146 भाषाएँ। ब्राजील की 190 भाषाएँ समाप्तप्राय हैं। मरती भाषाओं का मानचित्र बेहद डरावना लगता है।

 बिहार की एक भाषा अंगिका भी इस कोटि में है। पूर्वोत्तर भारत की सूची तो भयावह है। नक्शा देखकर काफी अजीब भी लगता है। विश्व एक-दूसरे से जुड़ता जा रहा है लेकिन भाषाएँ मरती जा रही हैं। अधिकाधिक देश लोकतांत्रिक हैं, विकास की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन क्या यह लोकतंत्र, यह विकास छोटी-मोटी भाषाओं की जिंदगी बचाकर नहीं रख सकती है?