फ़्यूल ऑन मोबाइल यानी मोबाइल के लिए फ़्यूल यानी मोबाइल के लिए बहुप्रयुक्त प्रविष्टियाँ। आज फ़्यूल प्रोजेक्ट की ओर से जस्सी ने फ़्यूल मोबाइल का बीटा जारी किया। इसे अमन और जस्सी ने तैयार किया है। अमन और जस्सी की मोबाइल में बेहद रुचि है। चार सौ पचास प्रविष्टियाँ इसमें शामिल की गई हैं। हमलोग इस मॉड्यूल की सार्वजनिक समीक्षा भी करना चाहते हैं जो शायद कुछेक सप्ताह में हो जाए। तबतक हम प्रतीक्षा करेंगे कि लोग इसके लिए चुनी गई प्रविष्टियों के लिए अपनी राय दें। इसमें चुनी गई एंट्रीज बेसिक मोबाइल से लेकर स्मार्टफोन तक से ली गई हैं। हम इससे पहले डेस्कटॉप से संबंधित शब्दावली पर काम कर चुके हैं और आज कई भाषाएँ इस प्रोजेक्ट से जुड़ रही हैं। और जानकारी के लिए हमारी साइट देखें या फिर इस न्यूजलेटर को पढ़ें।
Sunday, June 5, 2011
Thursday, April 7, 2011
अन्ना को कहीं पिपली का नत्था न बना दें ये लोग
अन्ना और नत्था में अंतर तो बहुत हैं लेकिन बहुत समानता भी देखी जा सकती है या कहें कि खोजी जा सकती है। नत्था की जमीन गिरवी पर थी, बचाने के लिए उसने सोचा जान ही दे दी जाए। अन्ना का देश गिरवी पर है, बचाने के लिए जान देने के लिए तत्पर हैं। वहाँ पिपली था, यहाँ जंतर-मंतर है। तमाशा जारी है। पता नहीं क्यों मुझे सारे आन्दोलन अब राष्ट्रीय स्तर के प्रहसन नजर आने लगे हैं। पिपली की तरह जंतर-मंतर पर सबकुछ सज चुका है। मीडिया, नेता, प्रशासन, पुलिस, पब्लिक सब जुट गए हैं।
प्रहसन इसलिए यहाँ हमारे यहाँ हर महत्वपूर्ण चीज को प्रहसन में बदलने का इतिहास रहा है। यहाँ यह देश और इसके लोग किसी भी बड़े से बड़े 'आन्दोलन' को प्रहसन में बदलने की कला में माहिर हैं। अब देखिए चौटाला, उमा, मोदी आदि पता नहीं कौन-कौन से लोग इसे समर्थन दे रहे हैं। 'आन्दोलन' को एक व्यक्ति सापेक्ष शब्द समझकर देखिए। हर 'आन्दोलन' के हश्र को उन व्यक्तियों के दिलों से पूछकर देखिए जो इनका समर्थन करते थे। पिपली के नत्था से अन्ना की तुलना करने वाला मेरा एक लंगोटिया मित्र चंद्र मोहन कल कह रहा था लोहिया के पास बैंक खाता नहीं था और लोहिया के लोग अब बैंक ही साथ में लेकर घूमते हैं। यहाँ के वामपंथी आन्दोलन को लीजिए। फिर राम जन्मभूमि आन्दोलन को लीजिए। वे तो अमेरिकी अधिकारियों को सफाई देते हैं कि राम तो उनके लिए महज सत्ता में आने का मुहरा हैं। गांधी के सत्याग्रह के भी तमाम आंदोलनों की राजनैतिक परिणति या हश्र देखिए। राष्ट्रभाषा के लिए लड़ाई का परिणाम देखिए। सबकुछ। बताएँ अगर एक भी आन्दोलन अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहा है।
इस बार कंधा है अन्ना हजारे का - एक बहत्तर साल के बूढ़े का। हालाँकि अन्ना ने भी अपने बाल यूँ ही सफेद नहीं किए हैं, फिर भी मुझे पता नहीं, क्यों लगता है कि बिला वजह हम भारी-भरकम आशा कर रहे हैं। यहाँ इस देश में हमारी आशा के चूल्हे पर अपनी रोटियाँ सेंकने वाले इतने धुरंधर बैठे हैं कि क्या कहने। यहाँ जंतर-मंतर से किसी तहरीर की उम्मीद व्यर्थ है और अगर कुछ ऐसा होने भी लगा तो बाजीगरों की एक स्थापित जमात बैठी हुई है जो उसे फिर से जंतर-मंतर बना देगी।
अन्ना की आँखों में वैसी निराशा तो नहीं है जैसी नत्था के आँखों में दिखती है...लेकिन आजादी के पहले निराशा तो गांधी की आँखों में भी नहीं दिखता होगा। उन्हें क्या पता था कि उनके ही सिपाही भारत की आजादी की उनकी आँखों से सामने ऐसी दुर्गति करेंगे कि वे दिल्ली में झंडा पहली बार फहरते भी नहीं देखना चाहेंगे। अन्ना को लोग छोटे गांधी कहते हैं। बड़े गांधी छोटे-मोटे मक्कारों की छोटी-मोटी फौज से नहीं लड़ सके थे, ये छोटे गांधी पता नहीं इन बड़े-बड़े मक्कारों की भारी-भरकम अक्षौहिनी सेना का क्या कर पाएँगे। यहाँ लड़ाई अब दो-एक लोगों से नहीं बची है। भ्रष्टाचार से लड़ाई का मतलब है लगभग हर आदमी से लड़ाई, पूरी कौम से लड़ाई। सर्वेक्षण करवाएँ तो पता चलेगा कि ईमानदार आदमी का प्रतिशत शून्य दशमलव शून्य शून्य एक भी नहीं है। और इसलिए तो शक है। भ्रष्टाचार के प्रति एकाएक ये आग कैसी। भूखा तो अन्ना को रहना है...भूखे पेट की उस आग पर थोड़ी-बहुत ही अपनी रोटी भी सिंक जाए शायद इतनी ही हमारी मंशा है। मैं बस दुआ करता हूँ कि अन्ना को इस आंदोलन के बाद मिले सदमें से निपटने की शक्ति दे।
प्रहसन इसलिए यहाँ हमारे यहाँ हर महत्वपूर्ण चीज को प्रहसन में बदलने का इतिहास रहा है। यहाँ यह देश और इसके लोग किसी भी बड़े से बड़े 'आन्दोलन' को प्रहसन में बदलने की कला में माहिर हैं। अब देखिए चौटाला, उमा, मोदी आदि पता नहीं कौन-कौन से लोग इसे समर्थन दे रहे हैं। 'आन्दोलन' को एक व्यक्ति सापेक्ष शब्द समझकर देखिए। हर 'आन्दोलन' के हश्र को उन व्यक्तियों के दिलों से पूछकर देखिए जो इनका समर्थन करते थे। पिपली के नत्था से अन्ना की तुलना करने वाला मेरा एक लंगोटिया मित्र चंद्र मोहन कल कह रहा था लोहिया के पास बैंक खाता नहीं था और लोहिया के लोग अब बैंक ही साथ में लेकर घूमते हैं। यहाँ के वामपंथी आन्दोलन को लीजिए। फिर राम जन्मभूमि आन्दोलन को लीजिए। वे तो अमेरिकी अधिकारियों को सफाई देते हैं कि राम तो उनके लिए महज सत्ता में आने का मुहरा हैं। गांधी के सत्याग्रह के भी तमाम आंदोलनों की राजनैतिक परिणति या हश्र देखिए। राष्ट्रभाषा के लिए लड़ाई का परिणाम देखिए। सबकुछ। बताएँ अगर एक भी आन्दोलन अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहा है।
इस बार कंधा है अन्ना हजारे का - एक बहत्तर साल के बूढ़े का। हालाँकि अन्ना ने भी अपने बाल यूँ ही सफेद नहीं किए हैं, फिर भी मुझे पता नहीं, क्यों लगता है कि बिला वजह हम भारी-भरकम आशा कर रहे हैं। यहाँ इस देश में हमारी आशा के चूल्हे पर अपनी रोटियाँ सेंकने वाले इतने धुरंधर बैठे हैं कि क्या कहने। यहाँ जंतर-मंतर से किसी तहरीर की उम्मीद व्यर्थ है और अगर कुछ ऐसा होने भी लगा तो बाजीगरों की एक स्थापित जमात बैठी हुई है जो उसे फिर से जंतर-मंतर बना देगी।
अन्ना की आँखों में वैसी निराशा तो नहीं है जैसी नत्था के आँखों में दिखती है...लेकिन आजादी के पहले निराशा तो गांधी की आँखों में भी नहीं दिखता होगा। उन्हें क्या पता था कि उनके ही सिपाही भारत की आजादी की उनकी आँखों से सामने ऐसी दुर्गति करेंगे कि वे दिल्ली में झंडा पहली बार फहरते भी नहीं देखना चाहेंगे। अन्ना को लोग छोटे गांधी कहते हैं। बड़े गांधी छोटे-मोटे मक्कारों की छोटी-मोटी फौज से नहीं लड़ सके थे, ये छोटे गांधी पता नहीं इन बड़े-बड़े मक्कारों की भारी-भरकम अक्षौहिनी सेना का क्या कर पाएँगे। यहाँ लड़ाई अब दो-एक लोगों से नहीं बची है। भ्रष्टाचार से लड़ाई का मतलब है लगभग हर आदमी से लड़ाई, पूरी कौम से लड़ाई। सर्वेक्षण करवाएँ तो पता चलेगा कि ईमानदार आदमी का प्रतिशत शून्य दशमलव शून्य शून्य एक भी नहीं है। और इसलिए तो शक है। भ्रष्टाचार के प्रति एकाएक ये आग कैसी। भूखा तो अन्ना को रहना है...भूखे पेट की उस आग पर थोड़ी-बहुत ही अपनी रोटी भी सिंक जाए शायद इतनी ही हमारी मंशा है। मैं बस दुआ करता हूँ कि अन्ना को इस आंदोलन के बाद मिले सदमें से निपटने की शक्ति दे।
फ़्यूल प्रोजेक्ट का पहला न्यूजलेटर - व2011Q1अंक 1
फ़्यूल प्रोजेक्ट का पहला न्यूजलेटर 5 अप्रैल को जारी किया गया। दो से ऊपर वर्ष हो गए हैं इस प्रोजेक्ट को कई सारी भाषाएँ इससे जुड़ती जा रही है। कुछ महीने पहले हुए अर्जुन के साथ बातचीत में उन्होंने सुझाव दिया था कि न्यूजलेटर रिलीज करना बेहतर रहेगा और मैं पिछले कुछ दिनों से इसी के बारे में सोच रहा था। अंततः उसे एक आकार दिया और उसे जारी कर दिया। संक्षेप में फ़्यूल से सारी जानकारियाँ उसमें दी गई जो हमने पिछले वर्षों में पूरा किया था। मसलन कौन-कौन सी संस्थाओं ने हमारी मदद किए, किन समुदायों के लोगों ने काम को आगे बढ़ाया। ताजातरीन काम किस पर चल रहा है। स्टाइल गाइड के काम शुरू करने के बारे में सूचना दी गई थी। फिर लोगों से कुछ चीजों पर योगदान के लिए भी आग्रह जोड़ा हुआ था। अनुवाद से संबंधित भाषाई संसाधनों के लिहाज से हम काफी पीछे हैं और मुक्त स्रोत के अभिलेखागार में तो कुछ है ही नहीं। फ़्यूल के माध्यम से कुछ कर पाने की खुशी तो है ही। शुक्रिया सभी मित्रों का।
Thursday, March 31, 2011
सेमीफाइनल में पूनम पांडे की प्रार्थना काम आई
कल मैच के दौरान अगर मुझे किसी की याद आ रही थी तो सिर्फ और सिर्फ पूनम पांडे की। कितनी नर्वस होंगी पूनमजी कि यदि इन नामुराद पाकिस्तानियों ने भारत का यही हाल जारी रखा तो सबसे बड़ा घाटा उसे ही होगा और वे निर्वस्त्र नहीं हो पाएँगी। महाजनो येन गतः स पंथाः के भारतीय सांस्कृतिक सुझाव को ध्यान में रखते हुए पराग्वे की लैरिसा और अर्जेन्टाइना के लुसियाना की राह पर चल रही पूनम का सबसे बड़ा और पहला रोड़ा पाकिस्तान ही था। और इन पाकियों ने तो गंध मचा रखी थी और भारतीयों की दुर्दशा में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पता नहीं पूनमजी के इष्टदेव या इष्टदेवी कौन हैं...वह मैच छोड़-छोड़कर उनके सामने जा बैठी होंगी कि हे ईश्वर, यह क्या हो रहा है। अगर भारत सेमीफाइनल में ही हार गया तो उनकी घोषणा का क्या होगा। वह कैसे निर्वस्त्र हो पाएँगी। कोई बहाना नहीं रह जाएगा। क्या होगा इतनी सारी खबरों का...'विश्व कप भारत जीता तो पूनम होंगी न्यूड', 'निर्वस्त्र होंगी पूनम', 'भारत विश्वकप जीता तो न्यूड हो जाएगी किंगफिशर मॉडल'।
अब लीजिए, मुझे अब पता चला कि वह किंगफिशर मॉडल भी रह चुकी हैं यानी शराब के साथ की शबाब। और किंगफिशर मॉडल रह ही चुकी हैं तो इनके अंग का कितना हिस्सा अब निर्वस्त्र होने के लिए बच रह गया होगा। गूगल बावा को मन ही मन सूचना देते हुए कि मैं अब अठारह वर्ष का हो चुका हूँ (जिसे जानने में गूगल बावा की हालाँकि दिलचस्पी लगभग न के बराबर रहती है और बावा होने के नाते अब उनके लिए ये सारी चीजें मोह-माया से ऊपर जा चुकी हैं) मैंने उनकी तस्वीरों की तलाशी के लिए बटन जोर से हिट किया। अरे बाप रे, वह क्या न्यूड होंगी और अगर इसके बाद जो कुछ बचा दिख रहा है वह भी उतर गया तो क्या-क्या देखना पड़ेगा! तौबा। चलिए आपके लिए हम एक तस्वीर हिन्दी में इंटरनेट पर काम करने की अगुआ कंपनी वेब दुनिया की दीर्घा से यहाँ इस ब्लॉग पर भी लगा देते हैं। शुक्रिया वेब दुनिया का। फूड फॉर थाउट की तर्ज पर फूड फॉर आपकी आँख। आनंद लीजिए और भारतीय टीम की हौसलाअफजाई करते हुए आप भी दुआ कीजिए कि भारत विश्व कप क्रिकेट में कप ले ही आए। वैसे उम्मीद है अबतक पूनमजी अपना प्रार्थना स्वीकार होने की खुशी में सवा सेर लड्डुओं का चढ़ावा इष्ट के सामने चढ़ा चुकी होंगी।
अब लीजिए, मुझे अब पता चला कि वह किंगफिशर मॉडल भी रह चुकी हैं यानी शराब के साथ की शबाब। और किंगफिशर मॉडल रह ही चुकी हैं तो इनके अंग का कितना हिस्सा अब निर्वस्त्र होने के लिए बच रह गया होगा। गूगल बावा को मन ही मन सूचना देते हुए कि मैं अब अठारह वर्ष का हो चुका हूँ (जिसे जानने में गूगल बावा की हालाँकि दिलचस्पी लगभग न के बराबर रहती है और बावा होने के नाते अब उनके लिए ये सारी चीजें मोह-माया से ऊपर जा चुकी हैं) मैंने उनकी तस्वीरों की तलाशी के लिए बटन जोर से हिट किया। अरे बाप रे, वह क्या न्यूड होंगी और अगर इसके बाद जो कुछ बचा दिख रहा है वह भी उतर गया तो क्या-क्या देखना पड़ेगा! तौबा। चलिए आपके लिए हम एक तस्वीर हिन्दी में इंटरनेट पर काम करने की अगुआ कंपनी वेब दुनिया की दीर्घा से यहाँ इस ब्लॉग पर भी लगा देते हैं। शुक्रिया वेब दुनिया का। फूड फॉर थाउट की तर्ज पर फूड फॉर आपकी आँख। आनंद लीजिए और भारतीय टीम की हौसलाअफजाई करते हुए आप भी दुआ कीजिए कि भारत विश्व कप क्रिकेट में कप ले ही आए। वैसे उम्मीद है अबतक पूनमजी अपना प्रार्थना स्वीकार होने की खुशी में सवा सेर लड्डुओं का चढ़ावा इष्ट के सामने चढ़ा चुकी होंगी।
Sunday, March 27, 2011
फ़ायरफ़ॉक्स 4 हिन्दी और मैथिली में रिलीज
फ़ायरफ़ॉक्स 4 रिलीज हो गया। तीन दिन हो गए हैं...करीब साढ़े तीन करोड़ डाउनलोड पूरे होने को हैं।
फ़ायरफ़ॉक्स 4 हिन्दी में भी है - डाउनलोड कीजिए और तेज़ व सुरक्षित ब्राउज़िग का मज़ा लीजिए।
यहाँ से डाउनलोड करें :
फ़ायरफ़ॉक्स 4 डाउनलोड
फ़ायरफ़ॉक्स 4 हिन्दी में भी है - डाउनलोड कीजिए और तेज़ व सुरक्षित ब्राउज़िग का मज़ा लीजिए।
यहाँ से डाउनलोड करें :
फ़ायरफ़ॉक्स 4 डाउनलोड
Tuesday, March 1, 2011
फ़्यूल पंजाबी मीट : पंजाबी कंप्यूटिंग शब्दावली के मानकीकरण की जोरदार कोशिश
पंजाबी कंप्यूटर प्रोग्रामों में प्रयोग किए जाने वाले पंजाबी शब्दों के मानकीकरण की एक जबरदस्त कोशिश है फ़्यूल पंजाबी मीट। फ़्यूल पंजाबी मीट कार्यक्रम के मेजबान हैं लुधियाना स्थित पंजाबी सहित अकादमी और इसका आयोजन 4-5मार्च को पंजाबी लिनक्स टेक्नालॉजी समूह के सहयोग से फ़्यूल कर रही है। यह मीट पंजाबी डेस्कटॉप की उपयोगिता को बढ़ाने में निःसंदेह सहायक होगी। पंजाबी भाषा में कंप्यूटिंग शब्दों के मानकीकरण की यह पहली महत्वपूर्ण कोशिश है।
इस सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, अनुवाद, स्थानीयकरण, पत्रकारिता, भाषा आदि क्षेत्रों से लोगों के समूह मिल बैठकर उन शब्दों पर चर्चा करेंगे जो प्रयोक्ताओं के सामने में बार-बार उपस्थित होती हैं और सम्मेलन में भाग लेने वाले लोग उन शब्दों पर एक आम सहमति बनाएँगे। ब्राउज़र, ईमेल क्लाइंट, मैसेंजर, ऑफिस सूट, संपादक जैसे बारंबार प्रयोग में आने वाले अनुप्रयोगों से चुने गए करीब 600 शब्दों पर चर्चा और आम सहमति के बाद इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद, यह शब्दावली पंजाबी लोकलाइजेशन यानी पंजाबी में कंप्यूटिंग शब्दों के लिए संदर्भ के रूप में काम करेगी।
फ़्यूल पंजाबी मीट के पहले, फ़्यूल सात भाषा के लिए इस प्रकार के आयोजन भारत भर में कर चुका है। फ़्यूल सभी भाषाओं के लिए कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर में मानकीकरण की समस्या से जूझने के लिए लगातार काम कर रही है. फ़्यूल (Frequently Used Entries for Localization) प्रोजेक्ट को वैसे लोगों के समुदाय के द्वारा चलाया जा रहा है जो भाषाई डेस्कटॉप को बेहतर और उपयोगी बनाने को इच्छुक हैं। फ़्यूल प्रोजेक्ट को रेड हैट के द्वारा आरंभ किया गया था और यह छोटी समयावधि में सराय, सी-डैक, नागार्जुन विश्वविद्यालय, इंडलिनक्स, ए.एन.सिन्हा संस्थान, मैथिली अकादमी, गुजराती लेक्सिकन, इनफायनेन इंफोटेक, एनआरसीफ़ॉस, एसआईसीएसआर, गूनीफाय, प्लग, एसएमसी जैसे संस्थानों का समर्थन हासिल किया है और इन संस्थानों ने इस कार्यक्रम के आयोजन में भागीदारी की है। इन शब्दावलियों का उपयोग वर्टाल और पूटल जैसे लोकप्रिय अनुवाद औज़ारों में होने लगा है। फ़्यूल ने शब्दावली के साथ ही अब स्टाइल व परिपाटी गाइड पर भी काम शुरू किया है और हिन्दी में इस गाइड को बतौर बीटा रिलीज भी कर चुका है।
इस सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, अनुवाद, स्थानीयकरण, पत्रकारिता, भाषा आदि क्षेत्रों से लोगों के समूह मिल बैठकर उन शब्दों पर चर्चा करेंगे जो प्रयोक्ताओं के सामने में बार-बार उपस्थित होती हैं और सम्मेलन में भाग लेने वाले लोग उन शब्दों पर एक आम सहमति बनाएँगे। ब्राउज़र, ईमेल क्लाइंट, मैसेंजर, ऑफिस सूट, संपादक जैसे बारंबार प्रयोग में आने वाले अनुप्रयोगों से चुने गए करीब 600 शब्दों पर चर्चा और आम सहमति के बाद इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद, यह शब्दावली पंजाबी लोकलाइजेशन यानी पंजाबी में कंप्यूटिंग शब्दों के लिए संदर्भ के रूप में काम करेगी।
फ़्यूल पंजाबी मीट के पहले, फ़्यूल सात भाषा के लिए इस प्रकार के आयोजन भारत भर में कर चुका है। फ़्यूल सभी भाषाओं के लिए कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर में मानकीकरण की समस्या से जूझने के लिए लगातार काम कर रही है. फ़्यूल (Frequently Used Entries for Localization) प्रोजेक्ट को वैसे लोगों के समुदाय के द्वारा चलाया जा रहा है जो भाषाई डेस्कटॉप को बेहतर और उपयोगी बनाने को इच्छुक हैं। फ़्यूल प्रोजेक्ट को रेड हैट के द्वारा आरंभ किया गया था और यह छोटी समयावधि में सराय, सी-डैक, नागार्जुन विश्वविद्यालय, इंडलिनक्स, ए.एन.सिन्हा संस्थान, मैथिली अकादमी, गुजराती लेक्सिकन, इनफायनेन इंफोटेक, एनआरसीफ़ॉस, एसआईसीएसआर, गूनीफाय, प्लग, एसएमसी जैसे संस्थानों का समर्थन हासिल किया है और इन संस्थानों ने इस कार्यक्रम के आयोजन में भागीदारी की है। इन शब्दावलियों का उपयोग वर्टाल और पूटल जैसे लोकप्रिय अनुवाद औज़ारों में होने लगा है। फ़्यूल ने शब्दावली के साथ ही अब स्टाइल व परिपाटी गाइड पर भी काम शुरू किया है और हिन्दी में इस गाइड को बतौर बीटा रिलीज भी कर चुका है।
Tuesday, February 22, 2011
मैथिलीमे फायरफाक्स

फ़ायरफ़ॉक्स बेहद लोकप्रिय है। उम्मीद है कि मैथिली जानने वाले लोग हमें अपने सुझावों के रूप में योगदान देंगे। गौरतलब है कि हम पहले ही फेडोरा, गनोम, केडीई जैसे मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयरों को मैथिली में ला चुके हैं।
यहाँ से अपने सिस्टम के मुताबिक डाउनलोड करें।
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