2471 - इतनी भाषाएँ मरनासन्न स्थिति में हैं। आज न कल ये मर जाएँगी। हर सप्ताह एक भाषा दम तोड़ देती है यानी उस भाषा को बोलने वाला आखिरी इंसान दम तोड़ देता है। भाषाई मौजैक से एक सदा के लिए हट जाता है। इसी बात को लेकर मैंने एक आलेख लिखा - अंगिका के संदर्भ में - यहाँ ओपनसोर्सडॉटकॉम पर। फ़ॉस इसे बचाने का माध्यम बन सकता है। और आगे आने के लिए है भी कौन।
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