जैसा कि इससे पिछले पोस्ट में मैंने लिखा था कि यह जल्द ही अपनी बीटा स्थिति से आधिकारिक रिलीज में आने जा रहा है. वह 'जल्द' जल्दी ही आ गया. अब बस फिर क्या है डाउनलोड कीजिए - फ़ायरफ़ॉक्स 3.0.5 हिन्दी - फ़ूली ऑफ़िशयल. यह विंडोज़, मैक और लिनक्स तीनों प्लेटफ़ॉर्मों के लिए मौजूद है. आप जरूर जानना चाहेंगे कि मोज़िला बीटा और आधिकारिक रिलीज में क्या फक्र करता है तो इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें.
हौसलाआफ़जाई के लिए शुक्रिया दोस्तों!
Wednesday, December 17, 2008
Tuesday, December 16, 2008
फ़ायरफ़ॉक्स हिंदी बीटा से आधिकारिक स्थिति में जल्द ही
फ़ायरफ़ॉक्स हिंदी रिलीज जल्द ही अपनी बीटा स्थिति से आधिकारिक रिलीज में आने जा रहा है। इसके लिए जरूरी सारी शर्तों को हिंदी पूरा कर चुकी है और मोज़िला के ब्लॉग में इसकी घोषणा भी कर दी गई है। 3.0.5 का रिलीज जल्द ही होने वाला है जहाँ आपको हिन्दी आधिकारिक रिलीज के तहत उपलब्ध होगी।
मैं व्यक्तिगत तौर पर रविकांत, गोरा, करूणाकर, रविरतलामी सहित उन सारे लोगों का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने इसके अनुवाद की व्यापकता से समीक्षा दिल्ली स्थित सराय में सराय की थी। साथ ही मैं अपने ब्लॉगर मित्रों का भी शुक्रिया करता हूँ जिन्होंने इसकी जाँच में योगदान दिया था। आरंभ में सीवीएस खाते आदि के कामों के रमण ने काफी सहयोग दिया था। अंत में लेकिन काफी महत्वपूर्ण रूप से मैं पंजाबी के लिए काम करने वाले अमन प्रीत का बहुत शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मुझे इसकी प्रक्रिया आदि सारे जरूरी कामों को विस्तार से समझाया। मुक्त स्रोत के प्रति अमन का लगाव भी काबिले तारीफ है।
मैं व्यक्तिगत तौर पर रविकांत, गोरा, करूणाकर, रविरतलामी सहित उन सारे लोगों का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने इसके अनुवाद की व्यापकता से समीक्षा दिल्ली स्थित सराय में सराय की थी। साथ ही मैं अपने ब्लॉगर मित्रों का भी शुक्रिया करता हूँ जिन्होंने इसकी जाँच में योगदान दिया था। आरंभ में सीवीएस खाते आदि के कामों के रमण ने काफी सहयोग दिया था। अंत में लेकिन काफी महत्वपूर्ण रूप से मैं पंजाबी के लिए काम करने वाले अमन प्रीत का बहुत शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मुझे इसकी प्रक्रिया आदि सारे जरूरी कामों को विस्तार से समझाया। मुक्त स्रोत के प्रति अमन का लगाव भी काबिले तारीफ है।
Thursday, December 4, 2008
मुंबई ब्लास्ट: संदर्भ मौज-मजे की लेखिका शोभा डे
मैंने सुना है कि शोभा डे बोल रही थीं कि चूँकि 'वे' अधिक करों का भुगतान करते हैं इसलिए 'उन्हें' अधिक सुरक्षा चाहिए. मौज-मजे के थीम पर किताबें लिखने वाली लेखिका और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अंग्रेजी की लेखिका होने के नाते वे दुःसाहस कर सकती हैं. लेकिन मैं इसे बौद्धिक दिवालियापन से अधिक नहीं मानता हूँ. दिवालियापन से बेहतर होगा बौद्धिक धूर्तता या व्यावसायिक चतुराई. आखिर इनके पाठक तो उसी वर्ग के हैं जिस वर्ग को उन्मुख होकर ये लिखती हैं. फर्ज कीजिए कि यह आतंकवादी घटना सिर्फ रेलवे स्टेशन पर होकर रह गई होती...तो क्या इतना ही हंगामा मचता. मुंबई का धमाका सचमुच कुछ लीक से हटकर है।
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