Friday, February 21, 2014

फुर्ती से सही-सही टाइप करें टाइपिंग-बूस्टर की मदद से

अगर आप अपनी टाइपिंग की गति से आज़िज हैं या फिर अपनी तेज़ गति को और तेज़ करने की सोच रहे और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है हैं निःसंदेह आप टाइपिंग बूस्टर आज़मा सकते हैं। टाइपिंग बूस्टर एक ऐसा औज़ार है जो आपकी अँगुलियों को आराम देता है और पाठ का अनुमान लगाकर आपको लिखने में मदद करता है। २०१० में आरंभ हुआ यह प्रोजेक्ट अब कई भाषाओं में है और अब यह बाएँ से दायीं ओर चलने वाली लिपियों का भी समर्थन करता है। फेडोरा में आप अगर इसे संस्थापित करना चाहते हैं तो काफी आसान है बस टर्मिनल खोलिए और रूट के साथ yum install ibus-typing-booster hunspell- लिखिए। आपकी सेवा में यह हाज़िर हो जाएगा।

गति को वाकई काफी बढ़ाने वाला यह टाइपिंग बूस्टर कई ख़ूबियों को लिए है। गति तो बढ़ती ही है लेकिन चूँकि यह साथ ही स्पेलचेकर की मदद भी लेती है तो आपकी गलतियाँ होने की उम्मीद कम रहती है। आंशिक इनपुट पर अनुमान, टैब से अगले अनुमानित अक्षर पर जाना, वर्तनी-जाँच, मनपसंद शब्द सूची, सभी महत्वपूर्ण कुँजी लेआउट का समर्थन, ४० से अधिक भाषाओं में समर्थन, बेहतर परिशुद्धता आदि कुछेक महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं। यह काफी आसान है उपयोक्ताओं के लिए।

कुछ सुझाव टाइपिंग बूस्टर के लिए। पहले तो यह उपयोक्ता द्वारा निर्धारित हो सकने वाला होना चाहिए कि हम कितने वर्णों के शब्दों को सुझाव के तौर पर चाहेंगे। इसके अलावा उदाहरण के तौर पर मैं "की" लिख चुका हूँ तो सलाह के तौर पर "की" नहीं दिखना चाहिए। साथ में संलग्न चित्र में इसे देखा जा सकता है। 



एक और दिक्कत आती है...अगर हम दो अक्षर लिख चुके हैं और दूसरे अक्षर को मिटाकर कोई और लिख देते हैं तो सलाह पूरे लिखे शब्दांश पर न होकर बाद में जोड़े गए वर्ण के आधार पर दिखाया जाता है। मेरी तरफ से बस इतना ही है।

आप भी आज़माएँ। हैंड-हेल्ड डिवायसों के ज़माने में इसकी और उपयोगिता है और इसलिए इनके डेवलपरों का साधुवाद और शुक्रिया।

Tuesday, February 4, 2014

जानकीपुल पर मेरे बेटे अमृत की कविताएँ

मेरे ग्यारह साल के बेटे अमृत की कविताएँ जब हिन्दी के जाने-माने साइट जानकीपुल पर छपी तो एकबारगी विश्वास नहीं हुआ। जानकीपुल हिन्दी साहित्य के गंभीरतम आलेखों, कविताओं, और चर्चाओं का प्रमुख अड्डा है। कविता में अमृत की रुचि है और वह काफी समय से लिख रहा है, लेकिन जानकीपुल पर भेजने में मैं काफी हिचक रहा था। मशहूर कथाकार प्रभातजी का शुक्रिया कि उन्होंने अपनी खूबसूरत मॉडरेटर टिप्पणी के साथ इसे छापा और मुझे लिखा भी कि अमृत में मौलिक प्रतिभा है और इसे बनाए रखिए।

माँ-बाप होने के नाते हमें अमृत की लिखी कविताएँ अच्छी तो लगती थीं लेकिन इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया आएगी सोचा भी नहीं था। प्रभातजी ने बताया कि इसकी कविताओं ने पेज व्यूज़ के पिछले सारे सालों के रिकार्ड को महज चंद दिनों में पीछे छोड़ दिया है। फेसबुक और साइट के पेज पर की गई टिप्पणियाँ बेहद सकारात्मक हैं। अमृत बहुत खुश भी  है। एक बार फिर प्रभातजी का शुक्रिया हमारी तरफ से।