महाराष्ट्र सरकार के कंप्यूटिंग तकनीकी शब्दावली मानक के लिए ई-गवर्नेंस के अभिन्न हिस्से के रूप में फ़्यूल को स्वीकार किया गया है। फ़्यूल के अंतर्गत तकनीकी शब्दावली के तीन मॉड्यूल हैं – डेस्कटॉप, मोबाइल और वेब। मराठी डेस्कटॉप मॉड्यूल पहले से तैयार है और इसकी समीक्षा कार्यशाला भी सीडैक के प्रायोजन में दो साल पहले सफलतापूर्वक की जा चुकी है। यह यहाँ जोड़ना जरूरी है कि सीडैक के द्वारा डेवलेपर के लिए तैयार की गई लोकलाइजेशन गाइडलाइन में फ़्यूल प्रोजेक्ट का संदर्भ सभी भारतीय भाषाओं के लिए किया गया है।
पिछले शनिवार यानी 4 अगस्त को सीओई कार्यशाला का आयोजन मंत्रालय, मुंबई में सीडैक-जिस्ट की ओर से किया गया था। आईटी सचिव राजेश अग्रवाल ने भाषा और मानकीकरण के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि राज्य सरकार की सभी वेबसाइटें तयशुदा रूप से मराठी में दिखेंगी। उन्होंने कॉपी-लेफ्ट के अंतर्गत विभिन्न सार्वजनिक उपयोग की सामग्रियों को जारी करने पर जोर दिया। जिस्ट, सीडैक के प्रमुख महेश कुलकर्णी ने “मानक – महत्व, मुद्दे, चुनौतियाँ और समाधान” पर विस्तार से चर्चा की। विभिन्न मानकीकरण के प्रयासों मसलन यूनीकोड, सीएलडीआर के साथ ही उन्होंने फ्यूल के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। हम कुलकर्णीजी और राजेशजी को तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। सीडैक की ओर से चंद्रकांत काफी शिद्दत से फ़्यूल से जुड़े हैं। वह मराठी स्टाइल गाइड पर भी काम कर रहे हैं।
यह ब्लॉग लिखते हुए देर हो गयी है। पिछले सप्ताह ही हमें इसकी जानकारी मिली। यह वाकई खुशी की बात है कि ओपन सोर्स के खुले और समावेशी तौर-तरीके से तैयार की गई कंप्यूटिंग शब्दावली को सरकारी उपयोग के लिए बतौर मानक के तौर पर चुना है। साथ ही मोबाइल और वेब शब्दावली को भी मान्यता मिली है और मराठी के लिए इसपर संगोष्ठी हम जल्द करनेवाले हैं। इस फ़्यूल की शुरुआत चार साल पहले रेड हैट के सहयोग से रविकांत, रवि रतलामी, गोरा मोहांती, करुणाकर, देवाशीष सहित संकर्षण, फेलिक्स, अंकित, अमन, रूना, मनोज गिरि आदि कई लोगों के साथ फ्यूल हिन्दी से हुई थी। रेड हैट के सतीश मोहन ने इसे शुरू करने के वक्त काफी हौसला बढ़ाया था। रविकांतजी सराय में अनुवाद की समीक्षा कार्यशाला इंडलिनक्स के करते आए हैं और जाहिर है हमें इससे काफी कुछ सीखने को मिला।
हर्षद गुणे, सुधन्वा जोगलेकर, चंद्रकांत डी., संदीप शेडमाके, जी करुणाकर, जयंत ओगले, रवि पांडेय, नीलेश गोवांडे, अतुल नेने, अमित कर्पे, ऋतुजा हांडे, अभिजीत भोपटकर, संकर्षण जोशी, कल्पेश लोढ़ा, निखिल कुलकर्णी, गौरीश पाटिल, वरुण देशपांडे, नम्रता सोर्टे, वैशाली कुंभार, राजन शीरसागर, अजीत अभ्यंकर, राहुल भालेराव, प्रवीण सतपुते, मधुरा आर पलसुले, सुमित डागर, ईशा चौहान, डॉ. मुकुंद जोगलेकर, शैलेश एस खांडेकर, विजय सरदेशपांडे, प्रसाद शिरगांवकर, पराग नेमाडे, अंकित पटेल, फेलिक्स आदि जाने-माने लोगों ने मराठी फ़्यूल के निर्माण में योगदान दिया है। मराठी फ़्यूल सामुदायिक विवेक के आधार पर आमसहमति से तैयार की गई शब्दावली का खूबसूरत नमूना है।
फ़्यूल अबतक 12 भारतीय भाषाओं में डेस्कटॉप से जुड़ी शब्दावलियों के मानकीकरण का काम कर चुकी है। पाँच भाषाओं में स्टाइल गाइड तैयार किया जा चुका है। और जाहिर से यह सारा काम भारतीय भाषाओं में काम कर रहे समुदायों के दम-खम पर ही हुआ है। स्वैच्छिक रूप से किए गए इन समुदाय के कार्यों के लिए फ्यूल शुक्रगुजार है। हम अनुवाद मूल्यांकन पर काम कर रहे हैं और संभव है कि जल्द ही हम एक मैट्रिक्स तैयार कर पाएँ।
पिछले शनिवार यानी 4 अगस्त को सीओई कार्यशाला का आयोजन मंत्रालय, मुंबई में सीडैक-जिस्ट की ओर से किया गया था। आईटी सचिव राजेश अग्रवाल ने भाषा और मानकीकरण के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि राज्य सरकार की सभी वेबसाइटें तयशुदा रूप से मराठी में दिखेंगी। उन्होंने कॉपी-लेफ्ट के अंतर्गत विभिन्न सार्वजनिक उपयोग की सामग्रियों को जारी करने पर जोर दिया। जिस्ट, सीडैक के प्रमुख महेश कुलकर्णी ने “मानक – महत्व, मुद्दे, चुनौतियाँ और समाधान” पर विस्तार से चर्चा की। विभिन्न मानकीकरण के प्रयासों मसलन यूनीकोड, सीएलडीआर के साथ ही उन्होंने फ्यूल के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। हम कुलकर्णीजी और राजेशजी को तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। सीडैक की ओर से चंद्रकांत काफी शिद्दत से फ़्यूल से जुड़े हैं। वह मराठी स्टाइल गाइड पर भी काम कर रहे हैं।
यह ब्लॉग लिखते हुए देर हो गयी है। पिछले सप्ताह ही हमें इसकी जानकारी मिली। यह वाकई खुशी की बात है कि ओपन सोर्स के खुले और समावेशी तौर-तरीके से तैयार की गई कंप्यूटिंग शब्दावली को सरकारी उपयोग के लिए बतौर मानक के तौर पर चुना है। साथ ही मोबाइल और वेब शब्दावली को भी मान्यता मिली है और मराठी के लिए इसपर संगोष्ठी हम जल्द करनेवाले हैं। इस फ़्यूल की शुरुआत चार साल पहले रेड हैट के सहयोग से रविकांत, रवि रतलामी, गोरा मोहांती, करुणाकर, देवाशीष सहित संकर्षण, फेलिक्स, अंकित, अमन, रूना, मनोज गिरि आदि कई लोगों के साथ फ्यूल हिन्दी से हुई थी। रेड हैट के सतीश मोहन ने इसे शुरू करने के वक्त काफी हौसला बढ़ाया था। रविकांतजी सराय में अनुवाद की समीक्षा कार्यशाला इंडलिनक्स के करते आए हैं और जाहिर है हमें इससे काफी कुछ सीखने को मिला।
हर्षद गुणे, सुधन्वा जोगलेकर, चंद्रकांत डी., संदीप शेडमाके, जी करुणाकर, जयंत ओगले, रवि पांडेय, नीलेश गोवांडे, अतुल नेने, अमित कर्पे, ऋतुजा हांडे, अभिजीत भोपटकर, संकर्षण जोशी, कल्पेश लोढ़ा, निखिल कुलकर्णी, गौरीश पाटिल, वरुण देशपांडे, नम्रता सोर्टे, वैशाली कुंभार, राजन शीरसागर, अजीत अभ्यंकर, राहुल भालेराव, प्रवीण सतपुते, मधुरा आर पलसुले, सुमित डागर, ईशा चौहान, डॉ. मुकुंद जोगलेकर, शैलेश एस खांडेकर, विजय सरदेशपांडे, प्रसाद शिरगांवकर, पराग नेमाडे, अंकित पटेल, फेलिक्स आदि जाने-माने लोगों ने मराठी फ़्यूल के निर्माण में योगदान दिया है। मराठी फ़्यूल सामुदायिक विवेक के आधार पर आमसहमति से तैयार की गई शब्दावली का खूबसूरत नमूना है।
फ़्यूल अबतक 12 भारतीय भाषाओं में डेस्कटॉप से जुड़ी शब्दावलियों के मानकीकरण का काम कर चुकी है। पाँच भाषाओं में स्टाइल गाइड तैयार किया जा चुका है। और जाहिर से यह सारा काम भारतीय भाषाओं में काम कर रहे समुदायों के दम-खम पर ही हुआ है। स्वैच्छिक रूप से किए गए इन समुदाय के कार्यों के लिए फ्यूल शुक्रगुजार है। हम अनुवाद मूल्यांकन पर काम कर रहे हैं और संभव है कि जल्द ही हम एक मैट्रिक्स तैयार कर पाएँ।